परम पूज्य क्षुल्लक श्री 105 प्रज्ञांशसागर जी गुरुदेव के द्वारा लिखित श्री महावीराष्टक दीपार्चनम् का आज चण्डीगढ़ की पावन धरा पर हुआ विमोचन
Siddhachakra Mahamandal Vidhan
महावीर के श्री चरणों में सादर शीश झुकाता हुँ,
महावीराष्टक के दीपार्चन की मंगल गीता गाता हूँ।।
Siddhachakra Mahamandal Vidhan: आप सभी को बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि हमारे चण्डीगढ़ में पधारे हुए अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी सन्त क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी महाराज के द्वारा निर्मित भक्तामर स्तोत्र की तरह विख्यात श्री महावीराष्टक स्तोत्र का दीपार्चन बनाया है साथ ही उसके यन्त्र, मन्त्र और चित्र आदि के द्वारा बहुत महत्त्वपूर्ण कृति जैन जगत् को दी है जिसके लिए मैं चण्डीगढ़ की समाज का प्रतिनिधित्व करता हुआ सभी की तरफ से क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी चरणों में शीश झुकाता हूँ और आशा करता हूं वे ऐसे ही नवीन-नवीन कृतियां हम सभी अज्ञानीयों के उपकार के लिए रचते रहें। क्षुल्लक श्री जी के चरणों में त्रय बार इच्छामी-इच्छामी-इच्छामी
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